About Me

My photo
संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Friday, 30 January 2015

रात गुजर गई

रात गुजर रही है ...... कमरे की बिखरी चीजें उठाते हुए  
सब कुछ बिखरा है  
तुम्हारे जाने के बाद  
तुम्हारी चहल कदमियां 
घुमती रहती है आँगन में  
सांसों की कुछ सरगोशियाँ हैं
कानो में मेरे  
बिस्तर की सलवटें अकेली हैं  
नाराज है तुमसे  
बातों के ढेर लगे है एक एक को लपेटती हूँ  
और रखती जाती हूँ अलमारी में  
गठरियाँ हैं कुछ  
मुस्कुराहटो की  
अलमारी के ऊपर रख दी है  
कमरे का फर्स ठंठा है  
गीला है आंशुओ से मेरे  
उफ़ ! बालकनी में चाँद भी तो है  
कितना कुछ बिखरा है  
थककर चूर हूँ  
कितनी यादे बगल में लेटी हैं  
नींदे माथे को चूम रही हैं  
रात गुजर गई  
कमरे की बिखरी चीजे उठाते हुए

Thursday, 22 January 2015

"चूड़ियां"

जानते हो तुम ? मुझे चूड़ियाँ पसंद हैं लाल ,नीली ,हरी ,पीली हर रंग की चूड़ियाँ जहाँ भी देखती हूँ चूड़ियों से भरी रेड़ी जी चाहता है तुम सारी खरीद दो मुझे मगर तुम नही होते
ना मेरे साथ ना मेरे पास खुद ही खरीद लेती हूँ नाम से तुम्हारे पहनती हूँ छनकाती हूँ उन्हें बहुत अच्छी लगती है हाथो में मेरे कहते रहते हो तुम कानो में मेरे चुपके से जानते हो तुम ?

Thursday, 15 January 2015

" वो लम्हा "

एक लम्हा हमारा
जज्बात की झिलियों में
महफूज रखा हैं वही
मोहब्बत की अलमारी के
उपरी खाने में
ख्वाबो के तालो के भीतर
बातों की पोटली में
मुस्कुराहटों के बीच
छुपा कर
जहाँ रखा था दोनों ने

आओ ना वो लम्हा निकले ....

Monday, 12 January 2015

''संकरी सी उस गली में "

संकरी सी उस गली में दोनों तरफ हजारों जज्बातों की खिड़कियां खुलती है जुगनू टिमटिमाते है रूई के फ़ोओं से लम्हे तैरते हैं शाम रंग सपने झिलमिलाते हैं तितिलियों के पंखो का संगीत घुलता है रेशमी लफ्जो की खुशबू महकती है संकरी सी उस गली में तेरी आँखों से 
मेरे दिल तक जो पहुचती है ..