जलते वक़्त की सड़क पर
नंगे पाँव
दूर तक चलती रही
लहू से भरे छाले
फूटते रहे तलवों में
नव वधू से निशान
बनाती हुई मैं
पहुंची आँगन तेरे
आ मेरी किस्मत
अब तो शगुन कर मेरा
तिलक लगा
नज़रें उतार
बधार* ले मुझे
कब से दहलीज़ पर
खड़ी हूँ तेरे
आ मेरी किस्मत
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बधारना - नयी दुल्हन को दहलीज़ पार कराने की एक रस्म
नंगे पाँव
दूर तक चलती रही
लहू से भरे छाले
फूटते रहे तलवों में
नव वधू से निशान
बनाती हुई मैं
पहुंची आँगन तेरे
आ मेरी किस्मत
अब तो शगुन कर मेरा
तिलक लगा
नज़रें उतार
बधार* ले मुझे
कब से दहलीज़ पर
खड़ी हूँ तेरे
आ मेरी किस्मत
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बधारना - नयी दुल्हन को दहलीज़ पार कराने की एक रस्म