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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Monday, 12 January 2015

''संकरी सी उस गली में "

संकरी सी उस गली में दोनों तरफ हजारों जज्बातों की खिड़कियां खुलती है जुगनू टिमटिमाते है रूई के फ़ोओं से लम्हे तैरते हैं शाम रंग सपने झिलमिलाते हैं तितिलियों के पंखो का संगीत घुलता है रेशमी लफ्जो की खुशबू महकती है संकरी सी उस गली में तेरी आँखों से 
मेरे दिल तक जो पहुचती है ..