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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Thursday, 30 April 2015

वक़्त

आओ दोनों मिलकर
जला दें
वक़्त की वो चादरें
बीच है जो हमारे
और
जो आने वाली है
गवारा नहीं मुझे ये
बेतुकी दलीलें वक़्त की
तुम भी कहाँ उस के
हक़ में फैसला चाहते हो
तो क्यों न मिलकर
एक साज़िश रचें
वक़्त के खिलाफ
दिलों की दियासलाई से
कुछ मोहब्बत की तिल्लियाँ निकालें
जज्बातों की परतों से
एक चिंगारी निकालें
और सुलगा दें
ये काली चादर

आओ न दोनों मिलकर
जला दें
वक़्त की चादरें


Wednesday, 29 April 2015

कार्बन पेपर

सुनो न
कहीं से कोई
कार्बन पेपर ले आओ
खूबसूरत इस वक़्त की
कुछ नकलें निकालें

कितनी पर्चियों में
जीते हैं हम
लम्हों की बेशकीमती
रशीदें भी तो हैं
कुछ तो हिसाब
रखें इनका

किस्मत
पक्की पर्ची तो
रख लेगी ज़िंदगी की
कुछ कच्ची पर्चियां
हमारे पास भी तो होगीं

कुछ नकलें
कुछ रशीदें
लिखाइयां कुछ
मुट्ठियों में रहे
तो तसल्ली रहती है

सुनो न
कहीं से कोई
कार्बन पेपर ले आओ 

Monday, 6 April 2015

"मेरा टापू "

झील के बीच में 
इकटठा किया गारा सारा 
अपना एक टापू बनाया 
अब इस  टापू पर 
गुम किसी के इंतज़ार में 
डर गयी हूँ
खुद के छूने से ही 
दूर तक गहरा पानी 
न की नाव 
न ही बुलावा कोई 
कोई है भी नहीं 
आये जो इस जगह मेरे साथ 
मेरे इस टापू पर 
पानी के बीच 
रूह के करीब 
खुद को छूने 
नहीं आता कोई 
झील के बीच 
मेरे इस टापू पर