वो मुस्कुराहटें, वो खिलखिलाहटें
दबे पाऊँ की वो आहटें
कुछ अनकही शिकायतें
होती हूँ अकेली तो साथ होती है
हर बात में तुम्हारी बात होती है
रतजगे वो आँखों में, वो सन्नाटे बातों में
सुरमई साँझ की अठखेलियां
याद आती हैं
मुझको मुझसे छीन जाती हैं
नम हाथों की वो तपिश
चारों पहर की कशिश
मिलने के बाद मिलन की ख्वाहिश
झकझोर जाती है
होती हूँ अकेली तो साथ होती है
हर बात में तुम्हारी बात होती है
दबे पाऊँ की वो आहटें
कुछ अनकही शिकायतें
होती हूँ अकेली तो साथ होती है
हर बात में तुम्हारी बात होती है
रतजगे वो आँखों में, वो सन्नाटे बातों में
सुरमई साँझ की अठखेलियां
याद आती हैं
मुझको मुझसे छीन जाती हैं
नम हाथों की वो तपिश
चारों पहर की कशिश
मिलने के बाद मिलन की ख्वाहिश
झकझोर जाती है
होती हूँ अकेली तो साथ होती है
हर बात में तुम्हारी बात होती है
दिल को नश्तर सा बींध जाती है
मुलाक़ात वो आखिरी मौत सी
आँखों में पिघलती वो ज्योत सी
कोंच जाती है
होती हूँ अकेली तो साथ होती है
हर बात में तुम्हारी बात होती है
हर बात में तुम्हारी बात होती है