रोज़ शाम की तरह
तेरी यादों की टोली
लौट आई
आज फिर
बैठी रही घंटो तक
सीढ़ियों पर मेरे घर की
मैंने पूछा ,कहाँ थी
आज दिन भर
बोली वहीँ
वही मौसम है
हम भी वही हैं
और तुम भी
गिरे हैं फिर से
पूरे शहर में
गुलमोहर के फूल
तेरी यादों की टोली
लौट आई
आज फिर
बैठी रही घंटो तक
सीढ़ियों पर मेरे घर की
मैंने पूछा ,कहाँ थी
आज दिन भर
बोली वहीँ
वही मौसम है
हम भी वही हैं
और तुम भी
गिरे हैं फिर से
पूरे शहर में
गुलमोहर के फूल