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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Friday, 24 July 2015

गुलमोहर

रोज़ शाम की तरह
तेरी यादों की टोली
लौट आई
आज फिर
बैठी रही घंटो तक
सीढ़ियों पर मेरे घर की

मैंने पूछा ,कहाँ थी
आज दिन भर
बोली वहीँ

वही मौसम है
हम भी वही हैं
और तुम भी
गिरे हैं फिर से
पूरे शहर में

गुलमोहर के फूल