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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Wednesday, 27 April 2016

इक रात

चुरा ली इक रात
चांदनी की क़िस्मत से
ज़िंदगी की
रेतीली सूखी
ओढ़नी के पल्लू में
कसकर बाँध ली मैंने

तेरे शरबती रंग के
घोल में डुबोकर
रंगा खुद को

सफ़ेद गीली आँखों में
तेरी काली नैनों का
सूरमा लगाया

चखकर तेरी खुशबू के प्याले
अपने सूखे होठों के
कटोरों को भरा

तेरे इश्क़ की शराब से
अब हौले-हौले
चढ़ेगी मदहोशी
कई महीनों की नींद थी
जी भर सोउंगी
जरा सा करार है
तेरे हाथों की छुअन का
और मखमली अहसास भी

तुम पहरा दो न
जब तक मैं सोऊँ