चुरा ली इक रात
चांदनी की क़िस्मत से
ज़िंदगी की
रेतीली सूखी
ओढ़नी के पल्लू में
कसकर बाँध ली मैंने
तेरे शरबती रंग के
घोल में डुबोकर
रंगा खुद को
सफ़ेद गीली आँखों में
तेरी काली नैनों का
सूरमा लगाया
चखकर तेरी खुशबू के प्याले
अपने सूखे होठों के
कटोरों को भरा
तेरे इश्क़ की शराब से
अब हौले-हौले
चढ़ेगी मदहोशी
कई महीनों की नींद थी
जी भर सोउंगी
जरा सा करार है
तेरे हाथों की छुअन का
और मखमली अहसास भी
तुम पहरा दो न
जब तक मैं सोऊँ
चांदनी की क़िस्मत से
ज़िंदगी की
रेतीली सूखी
ओढ़नी के पल्लू में
कसकर बाँध ली मैंने
तेरे शरबती रंग के
घोल में डुबोकर
रंगा खुद को
सफ़ेद गीली आँखों में
तेरी काली नैनों का
सूरमा लगाया
चखकर तेरी खुशबू के प्याले
अपने सूखे होठों के
कटोरों को भरा
तेरे इश्क़ की शराब से
अब हौले-हौले
चढ़ेगी मदहोशी
कई महीनों की नींद थी
जी भर सोउंगी
जरा सा करार है
तेरे हाथों की छुअन का
और मखमली अहसास भी
तुम पहरा दो न
जब तक मैं सोऊँ