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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Tuesday, 18 April 2017

लम्हों की मैयत

टिमटिमाती ये रौशनी
डबडबाती आँखें
टप टप गले से टपकता दर्द
गड गड गरजते बादल
सर सर सरकती ज़हरीली हवा
घिसटता दिल मेरा
और बेबस से तुम
किसी बेवा सा वो लाल किला
गुनाहगार सा चांदनी चौक
उनकी मैयत में शरीक हम

हसीं लम्हों की ये मैयत
जो हम मनाते हैं
न तुम मुस्कुराओ न मैं
दोनों को खुशगवारियत
पसंद कहाँ आती है