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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Tuesday, 18 April 2017

रात बहुत रोई है आज

देर से सहमी सी
डरी सी
दुबके बैठी है
तड़फ के बरस पड़ी
घंटो बरस कर
बहा के खारा पानी
आँखों से
ये रात अपनी कहानियां
सुनाती रही मुझे
खामोश है अब
सुबक रही है
सुन रही हूँ मैं
सिसकियाँ उसकी

कन्धा गीला है मेरा 
उसकी आंसुओं से 
मेरे कंधे पर 
सर रख कर सोयी है ये रात 
गरम  पानी से मेरे जख्मों को 
सेंका है 
ये रात बहुत रोई है आज