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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Tuesday, 18 April 2017

अक्स

बहती रही कई देर तक
कल वाली रात
देर तक सुना
आसमान की आहटों को
लम्हों की धाराएं
यादों के झुरमुट स
बहकर
रात के पहाड़ से
नीचे सुबह तक
बहती रही
वहां तल में
दो झीलें हैं
गहरी, बहुत गहरी

देखती हूँ
कुछ पल तो
खुद का ही अक्स
नज़र आता है
तुम्हारी आँखों में