बहती रही कई देर तक
कल वाली रात
देर तक सुना
आसमान की आहटों को
लम्हों की धाराएं
यादों के झुरमुट स
बहकर
रात के पहाड़ से
नीचे सुबह तक
बहती रही
वहां तल में
दो झीलें हैं
गहरी, बहुत गहरी
देखती हूँ
कुछ पल तो
खुद का ही अक्स
नज़र आता है
तुम्हारी आँखों में
कल वाली रात
देर तक सुना
आसमान की आहटों को
लम्हों की धाराएं
यादों के झुरमुट स
बहकर
रात के पहाड़ से
नीचे सुबह तक
बहती रही
वहां तल में
दो झीलें हैं
गहरी, बहुत गहरी
देखती हूँ
कुछ पल तो
खुद का ही अक्स
नज़र आता है
तुम्हारी आँखों में