पवित्रा
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तेरे कानों में लहराते दो झुमके
किसी पेड़ की नटखट,जवान
टहनियों से
पहली उँगली में पड़ी कोई चांदी सी मुहर
अंगूठी
माथे पे सुदूर सी बिंदी
आत्मविश्वास,स्वाभिमान,और
आज़ादी का फरमान सुनाती है
एक गहरी खुली हंसी
चमकते मोतियों से दांतों का अल्हड़पन
बेबाक सी फैलती आँखें
कभी
कभी छुईमुई सी भींचती पलकें
तेरे ज़िस्म का गहरे भरोसे सा गाढ़ा रंग
तुम किसी आजाद सभ्यता की निशानी लगती
हो