एकतरफ़ा........
जलन होती है मुझे
जब तुम्हारी नज़रे
किसी और को चाहने की बात करती है
फिर सोचती हूँ
की वो भी किसी और को चाहती है
उसे कोई और भी चाहता है ...
अरे हां सच मैं जानती हूँ उसे
वो है ही अच्छी क्यों न चाहे उसे कोई
फिर एक बेखबर सी मुस्कुराहट होठों पे तैर जाती है ....
सोचती हूँ हम सब कितने मासूम है न
एक मकड़ है नज़रे सब ख्वाहिशे जाला
और हम
हम उसके जाले में फंसते जाते है .....
जब तुम्हारी नज़रे
किसी और को चाहने की बात करती है
फिर सोचती हूँ
की वो भी किसी और को चाहती है
उसे कोई और भी चाहता है ...
अरे हां सच मैं जानती हूँ उसे
वो है ही अच्छी क्यों न चाहे उसे कोई
फिर एक बेखबर सी मुस्कुराहट होठों पे तैर जाती है ....
सोचती हूँ हम सब कितने मासूम है न
एक मकड़ है नज़रे सब ख्वाहिशे जाला
और हम
हम उसके जाले में फंसते जाते है .....
अच्छा ठीक है बाबा
नही बोलूंगी ज्यादा अब
तुम उसे एकतरफा चाहो
मैं तुम्हे एकतरफा
वो मुझे
उसे कोई और
अच्छा हम सब मिलकर लुक छुपी खेलें ...
नही तो पकड़म पकड़ाई ...
नही बोलूंगी ज्यादा अब
तुम उसे एकतरफा चाहो
मैं तुम्हे एकतरफा
वो मुझे
उसे कोई और
अच्छा हम सब मिलकर लुक छुपी खेलें ...
नही तो पकड़म पकड़ाई ...