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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Tuesday, 11 October 2016

भीड़..........
मै तन्हा ? तुम तन्हा ?
....
नहीं हुजूम है चारो तरफ मेरे 
शक़्लें हैं सिर्फ ,
जिस्मों की भीड़ भी
जो शक़्लें हैं उनके जिस्म नही
और जिस्मों की शक़्लें गायब 
सब तन्हा तन्हा,मायूस, चिड़चिड़े 
ऊबे हुए दूकानदार से  
भटकते ख़रीददार से 
एक दूसरे के लिए खांमख़्वाह
एक दुसरे की भीड़ में 
ख़ुदी को तलाशते आदमी और औरत