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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Tuesday, 11 October 2016

लफ़्ज़ा........
तुम लिखते रहना मुझे 
मेरे जिस्म को, कलम सा उंगलियों से 
यूं सलीके से पकड़ना 
कि कोई लफ्ज़ कतार से ऊपर नीचे ना हो 
मेरी रूह के पन्नों पे 
अपनी ख़लिश को उतार देना 
मैं मिलूंगी तुम्हे 
किसी उपन्यास की आख़िरी पँक्ति 
के पूर्ण विराम सी 
उस दिन जब 
मैं छोड़ कर जा रही होउंगी 
बंधनो की दुनिया
इन झूठ के रिश्तों से आज़ाद हो कर 
एक सच्चा रिश्ता जोड़ने 
तुमसे 
खुदसे 
तब मैं तुम्हारा दिया हुआ ये नाम 
साथ ले आउंगी 
तब तुम भी मुझे इसी नाम से पुकारना..
"लफ़्ज़ा"..
तुम्हारी लफ़्ज़ा