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संकरी सी गली से लोगों के दिल तक पहुचने का रास्ता है ये...अपने आप के बारे में कहना सबसे मुश्किल काम होता है... ये आप सब पर छोडती हूँ...

Tuesday, 11 October 2016

जोगी
तुम्हारे होने का एहसास नया है
तुम्हारी आँखों की पुतलियों में एक इकाई है 
तुम ठराव हो 
कौन हो तुम 
काँच के दरिया में वफ़ा क़ी कश्ती के माझी से दीखते हो 
एक लकीर है 
तेरे और दुनियां के बीच 
भीड़ में हो घिरे 
भीड़ से जुदा हो